Top News

ब्राह्मणों के हित में अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद शहडोल द्वारा प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन।

अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद शहडोल द्वारा सौंपा ज्ञापन।

एस्ट्रो सिटी एक्ट, ईडब्लूएस में संशोधन किया जावे।



रिपब्लिक न्यूज।।

शहडोल // ब्राह्मणों के हित में अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद शहडोल द्वारा प्रधानमंत्री के नाम पर एक ज्ञापन को सौंपा गया। समस्त ब्राह्मण के हित में 5 बिंदुओं पर केंद्रित सौंपे गये ज्ञापन माग किया गया कि आरक्षण प्रकिया में संशोधन किया जावे. यह केवल ब्राहम्ण समाज के लिए ही नहीं पूरे सवर्ण समाज को पीछे धकेलने का कार्य कर रहा है। जिस परिवार को एक बार इसका लाभ मिल जाये उन्हें दोबारा प्राप्त ना हो ताकि दूसरी बार किसी दूसरे को लाभ मिल सके ।वर्तमान में मध्यप्रदेश में एससी, एसटी और ओबीसी को मिलाकर कुल 50% आरक्षण दिया जा रहा है, बाकि अन्य राज्यों में कुछ में समान, तो कुछ में इससे भी अधिक आरक्षण लागू है। जिस प्रकार बचे हुए 50% में सवर्ण वर्ग से सरकार ने 10% ईडब्लूएस के नाम पर गरीब खोज लिए उसी प्रकार एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग में से भी उन्हें मिल रहे आरक्षण प्रतिशत के आधार पर गरीब की खोज की जानी चाहिए और जिन मापदण्डों तथा नियमों को ईडब्लूएस में लागू किया गया है उन्हीं मापदण्डों तथा नियमों को उन्हें मिलने वाले आरक्षण प्रतिशत पर लागू किया जाये। ज्ञापन में कहा गया कि एक्ट्रोसिटी एक्ट में संशोधन किया जावे.... इसमें भी प्राया यह देखने में आ रहा है प्रताड़ना कम इस एक्ट का दुरुपयोग अधिकांशतः होने लगा है, यहां तक कि इसे एक व्यवसाय के रूप में अपनाया जाने लगा है जो निश्चित ही चिंता का विषय है।यह एक्ट कड़ाई से लागू हो लेकिन किसी भी प्रकरण में पहले प्रकरण की विवेचना हो इसका दुरुपयोग रोकने के लिए इसके अंतर्गत एक संशोधन आदेश जारी किया जाये ।प्राय: देखने में आता है कि इसके लाभार्थी द्वारा किसी को आरोपी बनाया जाता है उस लाभार्थी को तत्काल शासन अलग-अलग प्रकरण में अलग-अलग आर्थिक मुआवजा प्रदान किया जाता है और आरोपी पर तत्काल कार्यवाही करते हुए जेल भेज दिया जाता है, परन्तु कुछ वर्षों के बाद आरोपी को न्याय पालिका दोषमुक्त कर देती है। इसका कारण दो ही हो सकतें है. पहला आरोपी के विरूद्ध झूठा प्रकरण दर्ज कराया गया अथवा बाद में समझौते के अंतर्गत लाभार्थी ने आरोपी से आर्थिक लाभ प्राप्त कर उसे बरी होने का अवसर दिया। ऐसी स्थिति में हमारा अनुरोध है यदि कोई आरोपी न्यायालय द्वारा इस प्रकार दोषमुक्त होता है तो तत्काल लाभार्थी को प्रारम्भ में मिलने वाली आर्थिक मुआवजे की राशि दो गुनी दोषी आरोपी को लाभार्थी से दिलवाई जावे इससे निश्चित ही झूठे प्रकरण दर्ज नहीं होगे और ना ही इस एक्ट का दुरुपयोग होगा।

इसी तरह 10% ईडब्लूएस की विसंगतियां समाप्त की जावे. यदि अन्य समाज के जीवन स्तर को उठाने के लिए उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है और यह प्रतिशत भी उस सवर्ण वर्ग के जीवन स्तर को उंचा उठाने के लिए मान्य किया गया जिन्हें इसकी आवश्यकता है तो फिर दो तरह के आरक्षण के मापदण्ड कैसे मान्य किए जा सकते हैं।

जिस प्रकार अन्य समाजों को आरक्षण जिन मापदण्डों के तहत् दिया जा रहा उनमें और इस आरक्षण के मापदण्डों में विभिन्नता है आयु, आय तथा फीस आदि को सभी आरक्षण में एक समान किया जाये ताकि विभिन्नता दिखाई ना दे और वास्तिविक कमजोर वर्ग को इसका लाभ प्राप्त करने में कोई कठिनाई ना आये। ईडब्लूएस प्रावधानों के अनुरूप ब्राह्मण परिवारों के बच्चों को स्कूली शिक्षा से कालेज शिक्षा तक छात्रवृत्ति प्रदान की जावे. ईडब्लूएस ब्राह्मण समाज के साथ समस्त सवर्ण समाज पर लागू हो अन्य समाजों पर लागू आरक्षण के साथ ही छात्रवृत्ति, निशुल्क किताबों-कापीयों, ड्रेस, आदि का लाभ बिना किसी आर्थिक स्थिति को नजर में रखकर दिया जाता है। प्रदेश में शासकीय स्कूलों में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक इनमें कुछ लाभ सभी समाज को प्राप्त है।ईडब्लूएस मापदण्डों के अंतर्गत ब्राह्मण परिवार आते है उनके बच्चों को स्कूली शिक्षा से कालेज शिक्षा तक नियमानुसार छात्रवृत्ति अन्य समाज के अनुसार प्रदान की जाये।

ज्ञापन में कहा गया कि अनारक्षित सीटों पर अनारक्षित वर्ग से ही प्रत्याशी बनाया जावे हमारा अनुरोध है कृपया पंचायत चुनावों से लेकर संसदीय चुनावों तक में अनारक्षित सीटों पर अनारक्षित वर्ग से ही प्रत्याशी बनाया जावे।

ज्ञापन सौंपने वालों में अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद शहडोल संभागीय अध्यक्ष पं. दया शंकर शुक्ला,जिला अध्यक्ष पं. त्रिलोकीनाथ गर्ग जिला संयोजक पं. अनिल शुक्ला संरक्षक पं. बी पी शर्मा पंडित शरद मिश्रा पंडित निखिल त्रिपाठी पं. सुशील शर्मा राममणि शुक्ल पं. राम मिलन शर्मा  पं. कृष्ण दत्त मिश्रा पं. प्रकाश चन्द्र तिवारी उपस्थित रहे।

Previous Post Next Post