रिपब्लिक न्यूज।।
शहडोल। जिले के आरटीओ विभाग मे फर्जी दस्तावेजों के जरिये एक 15 साल पुरानी बस को नई-नवेली करने वाले दो बाबुओं को पुलिस ने सात साल बाद गिरफ्तार किया है। इस मामले मे एक क्लर्क फरार है। बताया जाता है कि 1993 मॉडल की बस नंबर एमपी 18 6155 जोकि 15 वर्ष पुरानी होने के कारण मध्यप्रदेश मे पंजीयन योग्य नहीं थी। इसके बावजूद आरटीओ कार्यालय के बाबू अनिल खरे और एमपी सिंह बघेल ने झारखंड की मारुति वैगनआर क्रमांक जेएच 01 पी 4872 की नकली एनओसी निकलवा कर इस नंबर से बस का पंजीयन कर दिया। इस गड़बड़झाले की शिकायत पर वर्ष 2018 मे एफआईआर दर्ज की गई थी।
ग्राइण्डिर से मिटाया नंबर
जांच मे सोहागपुर पुलिस द्वारा इस बात की पुष्टि की गई कि आरोपियों द्वारा हथोड़े तथा ग्राईण्डर से बस के चेसिस नंबर को मिटा कर बदला गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि उक्त दस्तावेजों पर आरटीओ के दस्तखत ही नहीं मिले। सांथ ही फर्जी एनओसी बाई हैंड देकर नियमों का उल्लंघन किया गया। बहरहाल इस धांधली मे लिप्त आरटीओ कर्मचारी अनिल खरे और एमपी सिंह बघेल को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है, जबकि मुख्य आरोपी पुष्पेन्द्र मिश्रा की तलाश जारी है।