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अवैध रेत उत्खनन कारोबार का बढ़ता कारवां बढ़ते माफिया।

जिला के क्षेत्रों में खनिज संपदाओं का दोहन लगातार विगत कई वर्षों से जारी है।

खनिज संपदाओं के दोहन को रोकने को लेकर संबंधित सभी विभाग मानो "गांधी जी के तीन बंदर" मुताबिक काम कर रहे हैं। 

रिपब्लिक न्यूज।।

शहडोल मुख्यालय जिला अंतर्गत कई जगहों पर अवैध कारोबार खुलेआम देखा जा सकता है जिस पर अवैध कबाड़ कारोबार खनिज संपदा जुआं, सट्टे और गांजा के साथ कई प्रकार के मादक पदार्थ जैसे अवैध कारोबार बेधड़क होता आ रहा है। लेकिन यहां रेत का अवैध उत्खनन कारोबार सबसे आगे है याकिनं यह बात सच है, एक कहावत है न कुछ देखना है बुरा, न सुनना है बुरा और न ही कुछ कहना है बुरा। कुल मिलाकर जिले में हालात यह हैं कि, संबंधित विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही एवं अनदेखी के चलते यहां लगातार खनिज संपदाओं का दोहन एक व्यापक पैमाने में और बेखौफ तरीके से डंके की चोंट पर जारी है। आलम तो यहां तक भी है कि, हर एक जिम्मेदार विभाग, दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी तय करने का माजदा रखता है। परिणामस्वरूप वास्तविकता स्थानीय जनता-जनार्दन स्वयंमेव ही प्रत्यक्ष रूप से सामने देख रही है।

अभी ठेका नहीं, फिर उत्खनन और परिवहन कैसे गौरतलब है कि, वर्तमान समय में संपूर्ण जिले भर में न तो किसी रेत ठेका कंपनी ने अपना कारोबार शुरू किया है और न ही रेत की टीपी यानिकि, ट्रांजिट परमिशन भी काटी जा रही है। बावजूद इसके, रेत का उत्खनन और परिवहन बाकायदा इस जिले में अवैध रूप से किए जाने की प्रक्रिया प्रशासनिक अधिकारियों के नजरों के सामने ही हो रही है। क्षेत्र भर में सुनहरी रेत की चोरी की जानकारी लगातार आम है। लेकिन, स्थानीय स्तर से लेकर जिले के जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों तक को, मानो इस पूरे मामले में कोई सरोकार नहीं। ऐसा हम नहीं कहते! लेकिन, वास्तविकता में यही सारा कुछ प्रत्यक्ष रूप से दिखलाई पड़ता है।

संबंधित विभाग बीट प्रभारियों के संरक्षण पर लिया जा रहा सुविधा शुल्क जिले भर में भले ही हालात चाहे जो भी हों। लेकिन, सबसे बेहतर हालात जिला के बुढार थाना अंतर्गत, खनिज और अन्य विभागीय अमलों के लोगों की बताई जा रही है। सूत्रों की मानें तो, यहां पुलिस विभाग के नवागत थाना प्रभारी से लेकर एसडीओपी तक एवं अन्य जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों का स्थानीय खनिज माफिया को खुले रूप से संरक्षण दिया जा रहा है। इतना ही नहीं इस पूरे संरक्षण दिए जाने के पीछे एक तयशुदा सुविधा शुल्क भी बाकायदा लिया जा रहा है। किसी का 55 तो किसी का 25, चार अंको में सुविधा शुल्क तय है। खैर, इस बात में कितनी सच्चाई है... यह तो जांच का विषय है। मामले में स्थानीय विभागीय जिम्मेदार अधिकारियों के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल सहयोगी साबित होंगे, ऐसा बताया गया है।

विभाग के जिम्मेदार मानों आंख बंद करके अनजान बन कर बैठे हैं पर बताया गया है कि, बुढ़ार थाना क्षेत्र अंतर्गत जरवाही घाट, बटली घाट, सोनवर्षा, सेमरा और मरजाद के साथ साथ लालपुर ग्राम पंचायत के खडखडी क्षेत्र अंतर्गत में अवैध रेत खनन का गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है। रात के अंधेरे में डंपर, ट्रैक्टर और हाइवा की कतारें सोन नदी के घाटों से निकलती हैं और कोई रोकने वाला नहीं। 

यह सब उस समय हो रहा है जब न तो रेत का नया ठेका शुरू हुआ है, न ही खनन की कोई वैध अनुमति है। लेकिन, फिर भी सोन नदी की रेत शहरों और कस्बों तक बिक हो रही है। वह भी खुलेआम, सरेआम और प्रशासन की नाक के नीचे? पूरे जिले में अवैध रेत खनन व परिवहन की खबरें हर रोज सामने आ रही हैं। लेकिन, विभाग ने जैसे साइलेंट मोड ऑन कर लिया है। न कोई कार्रवाई, न कोई जब्ती, न ही किसी घाट पर निगरानी की पहल। ऐसा लग रहा है कि विभाग की नजरें अब वसूली पर टिकी हैं, न कि रोकथाम पर। दूसरी ओर पुराने रेत कारोबारी सक्रिय होकर सोन का सीना छलनी कर रहे हैं।

बेहतर सांठगांठ हो रही फलीभूत बताया जा रहा है कि, पुराने अफसरों की तबादली और नए अफसरों से बेहतर सांठगांठ इस पूरे अवैध कारोबार को फलीभूत करने का काम कर रही है। इधर वन विभाग भी औपचारिकता निभाने से आगे नहीं बढ़ पा रही है? रात में जब दर्जनों ट्रैक्टर ट्राली में अवैध उत्खनन रेत लेकर गुजरते हैं, तो चौकियों पर खामोशी छाई रहती है। वहीं बुढार पुलिस की स्थिति और भी संदिग्ध हो गई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि, वर्दी वालों ने अब रेत जांच को कमाई का जरिया बना लिया है। कुछ रुपये लेकर गाड़ी छोड़ देना, अब आम बात हो गई है। जिले में में एक पुलिस अधिकारी पर हमला हुआ, जब उसने अवैध ट्रैक्टर रोकने की कोशिश की थी, मारा गया। सवाल यह है कि, क्या अब बुढार में वही हालात दोहराने की तैयारी है? सवाल यह है भी है कि, क्या प्रशासन के जिम्मेदार विभागीय अधिकारी और पुलिस के आला अफसर, एक बार फिर किसी “बड़े हादसा होने का” इंतजार कर रहे हैं? क्या फिर किसी ईमानदार कर्मचारी की लाश ही कार्रवाई की शर्त बनेगी... यह भी बड़ा यक्ष प्रश्न है? जिसका जबाब खोजें जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

जरवाही, बटली, सोनवर्षा और मरजाद घाटों से हर रात सैकड़ों ट्रॉली रेत निकल रही है। ट्रैक्टर और डंपर के काफिले दिन में भी गांवों के बीच से निकलते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि, अब तो ये धंधा जैसे वैध हो गया है। कई बार लोगों ने सूचना दी, लेकिन न तो थाना सक्रिय हुआ न ही खनिज अमला और अन्य विभाग? मौके पर देखा गया है कि, घाटों पर भारी मशीनें भी लगाई जा चुकी हैं। पोकलेन और जेसीबी, सीधे नदी की धार में जाकर रेत निकाल रही हैं। इससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह प्रभावित हो रहा है और आसपास के गांवों में जलस्तर लगातार गिर रहा है। पर प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।

सूत्रों के मुताबिक यहां हमेशा अवैध कारोबार तेज़ी से होता है। पुराने अफसरों के तबादले के बाद खनन माफिया ने नई सेटिंग तैयार कर ली है। जनता अब सवाल कर रही है, क्या प्रशासन किसी नई घटना के इंतजार में बैठा है? क्या, फिर किसी कर्मचारी या पत्रकार को कुचल दिए जाने के बाद ही बुढार में कार्रवाई होगी? अगर जिले के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर ने अब भी इस पर सख्त कदम नहीं उठाए। तो यह मामला सिर्फ रेत का नहीं, यह पूरे शासन-प्रशासन की कार्य शैली पर सवाल बन जाएगा। अब देखना यह होगा कि, संपूर्ण जानकारी को कितनी गंभीरता से लिया जाता है और वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।

बुढार थाना प्रभारी से अवैध उत्खनन रेत के संबंध में जानकारी लिए गई प्रभारी ने बताया बटुरा हमारे थाना क्षेत्र का मामला नहीं है। बटली, जरवाही आदि तो हमारे थाना क्षेत्र में हैं‌। अभी मैं किसी और कार्यवाही को लेकर कहीं दूसरी जगह आया हूं।

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