शहडोल में अवैध रेत उत्खनन का अड्डा बना सोन घड़ियाल क्षेत्र
पुलिस - वन विभाग की मिलीभगत से फल-फूल रहा करोड़ों का काला कारोबार।
रिपब्लिक न्यूज।।
शहडोल मुख्यालय जिला के देवलोंद थाना अंतर्गत सोन घड़ियाल और बुढार थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत लालपुर स्थित सोन नदी में अवैध रेत उत्खनन का काला खेल लगातार ज़ारी रहता है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इस रेत माफियाओं के पीछे पुलिस, वन विभाग और प्रभावी तत्वों का गठजोड़ काम कर रहा है, जिसकी वजह से दिन-रात सैकड़ों ट्रक ट्रैक्टर ट्राली रेत निकल रही है। जिसमें शासन को मिलने वाले राजस्व में भारी नुकसान हो रहा है।
स्थानीय निवासी ग्रामीणों का आरोप है कि रेत के इस पूरे खेल में थाना प्रभारी सुभाष दुबे और चर्चित आरक्षक धीरेन्द्र भदोरिया का संरक्षण खुलकर दिखाई देता है। धीरेन्द्र भदोरिया का पुलिस महकमे में प्रभाव इतना बढ़ चुका है, स्वंय खुद मुखिया के घर तक पहुंचकर पूरा संचालन करता है। मैनेजमेंट और पहुंच राजनीतिक संबंध से अधिकारियों से निकटता के चलते कार्रवाई की उम्मीद तो बिल्कुल नहीं हो सकता है।
मिली भगत हिस्सेदारी का खेल और मैनेजमेंट के चर्चे आम।
सूत्रों की माने तो अवैध उत्खनन से होने वाली कमाई की हिस्सेदारी 2.50 और 2 के फार्मूले से बंटती है। यही कारण है कि माइनिंग विभाग तक कार्रवाई से कतराता है। विभाग के कर्मचारियों को खुली धमकी दी जाती है कि अगर सोन घड़ियाल में कार्रवाई करोगे, तो यहां से हटवा दिऐ जाओगे।
स्थानीय पुलिस प्रशासन एवं वन विभाग भी सवालों के घेरे में सोन घड़ियाल क्षेत्र में पदस्थ वन अधिकारी पाराशर पर भी गंभीर आरोप लगे हैं कि वह अवैध रेत उत्खनन को संरक्षण दे रहे हैं और मौके पर बैठकर ट्रकों को पास करा रहे हैं।
घड़ियालों पर मंडरा रहा खतरा कुछ समय पहले इसी क्षेत्र में बड़ी संख्या में घड़ियालों ने बच्चे दिए थे, लेकिन लगातार भारी मशीनों से रेत निकाले जाने से उनके अस्तित्व पर संकट गहरा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार अवैध खनन जारी रहा तो घड़ियालों की पूरी पीढ़ी खत्म हो सकती है।
पुलिस अधीक्षक ने बदला था क्षेत्र लेकिन मैनेजमेंट ने बदल दी भदोरिया की परिस्थिति और फिर लौट आये अंतिम छोर।
हाल ही में पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव ने कार्रवाई करते हुए आरक्षक धीरेन्द्र भदोरिया को पुलिस लाइन से गोहपारू थाना भेज दिया था। जिससे पुलिस प्रशासन का उद्देश्य था कि देवलोंद क्षेत्र में हो रहे अवैध रेत उत्खनन का नेटवर्क टूटे रहें।
लेकिन मैनेजमेंट काम ही ऐसा है वह लोगों की काया बदल देती है।
गोहपारू में हुए कुछ घटनाक्रमों ने ऐसा मोड़ लिया कि अरक्षक धीरेंद्र भदोरिया फिर से देवलोंद क्षेत्र में सक्रिय होते दिखाई देने लगे।
सूत्र बताते हैं कि आदेश भले ही गोहपारू का रहा हो, लेकिन भदोरिया आज भी देवलोंद में रहकर रेत के पूरे खेल को संचालित कर रहा है। ट्रकों की आवाजाही, वसूली व्यवस्था और संरक्षण अब भी उसके इशारों पर चल रही है।
कब रुकेगा अवैध उत्खनन?
सोन घड़ियाल संरक्षित क्षेत्र होने के बावजूद रोजाना भारी संख्या में ट्रकों और ट्रैक्टर से रेत निकाली जा रही है।
जब पुलिस, वन विभाग और स्थानीय प्रभावी लोगों की मिलीभगत हो, तो क्या यह अवैध उत्खनन कभी रुकेगा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन चाहे तो एक दिन में यह पूरा गोरखधंधा बंद हो सकता है, लेकिन जब संरक्षण ही जिम्मेदारों से मिले, तो कार्रवाई की उम्मीद कैसे की जाए?