रिपब्लिक न्यूज।।
शहडोल मुख्यालय संपूर्ण संभाग मानो इन दिनों सिंडिकेट जिला बदल कबाड़ माफिया और माफियाओं के गिरफ्त में होते जा रहा है।
इन दिनों लगातार चोरी, लूट और डकैती जैसे वारदात को खुलेआम बढ़ता देखा जा रहा हैं। जिसके तार सीधे तौर पर इन कबाड़ माफियाओं के लिंक से जुड़ा रहता हैं।
ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि यह तो अब गली चौक चौराहों पर स्वयं में ही चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां पुलिस पर खुल्लम-खुल्ला संरक्षण दिए जाने के आरोप भी लग रहे हैं। आरोप को सही साबित करने का भी प्रमाण मिलता है, जब सवाल यह उठता है कि आखिरकार सिंडिकेट के ठीहों में आसानी के साथ चोरी की सामग्रियां एकत्रित हो रही हैं और उतनी ही आसानी पूर्वक यह बकायदा जिलों की सीमाओं को लांघ कर सुगमता के साथ अन्यत्र पहुंच रही है।
कहा यह भी जा रहा है कि इस मामले में यदि उच्च स्तरीय जांच हुई तो स्थानीय पुलिस विभाग के कई अफसर से लेकर कर्मियों पर आंच आ सकती है। सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के साथ संबंधित प्रशासनिक पदस्थ कर्मचारियों के काल डिटेल और मोबाइल लोकेशन इसमें काफी मददगार साबित हो सकता है।
यहां एक बड़ा सवाल यह है कि, आखिर किसके जुगाड़ व संरक्षण में यह अवैध कारोबार व सिंडिकेट अमरबेल की भांति फल-फूल एवं फैल रहा है। कबाड़ के छोटे से छोटे ठीहे में भी लाखों रुपए का चोरी का माल पहुंच रहा है। जिन्हें बड़ी तेजी और मुस्तैदी के साथ जिले से बाहर तय स्थान पर बेखौफ होकर भेजा जा रहा है। जो न केवल देश-भक्ति, जन-सेवा को शिरोधार्य करने वाले पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है! अपितु, कर्तव्यनिष्ठा पर एक बड़ा प्रश्न भी है! आखिर कैसे बिना किसी प्रमाणित दस्तावेज के, अवैध कबाड़ का वाहन कई थाना रेखा को पार कर अपने नियत स्थल पर सुरक्षित पहुंच रहा है?
सूत्रों की मानें तो, प्रतिदिन दो से चार गाड़ी (बड़े वाहन में) चोरी और लूट का सामान जबलपुर व रायपुर तक पहुंच रहा है।
विचारणीय है कि, इतने बड़े पैमाने पर आखिर लोहा, टीना, एल्यूमीनियम, तांबा, पीतल, टीना, टप्पर जैसे कबाड़ कहां से आ रहा है।
जिसका लेखा जोखा खंगालने की कोशिश शायद शहडोल, उमरिया व अनूपपुर की पुलिस ने कभी की ही नहीं? यदि ऐसा सतत रूप से होता तो, कबाड़ माफियाओं का सिंडिकेट उभर कर अवैध कारोबार के नाम पर चमक न रहा होता। दूसरी ओर चोरी और लूट का माल भी आसानी से न बिक रहा होता। इसी क्रम में इन अपराधों का ग्राफ भी न बढ़ रहा होता। खैर, "सैंया भऐ चौकीदार, तो अब डर काहे का" की तर्ज़ पर कबाड़ माफियाओं के हौसले बुलंदी पर हैं। जिस पर लगाम लगाए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कबाड़ माफियाओं के संचालित इन ठीहों में लगभग प्रतिदिन ही चोरी या अनर्गल तरीके से क्रय किए गए दो-पहिया एवं चार पाहिया सहित अन्य वाहनों को धड़ल्ले से काटा जाता है। बिना किसी परमिट व परमिशन के ही इस काम को बाखूबी अंजाम दिया जा रहा है। बताया गया है कि, अधिकांश ठीहे नियम विरुद्ध तरीके से संचालित हैं। बिना परमिशन के गोदाम जहां एसईसीएल की बेशकीमती मशीनों तक को बड़ी आसानी से टुकडों में तब्दील कर कबाड़ का स्वरूप देने का अपराध बेखौफ व बेधड़क किया जा रहा है।
बताया गया है कि शहडोल मुख्यालय अंतर्गत गुड्डू सोहागपुर निवासी रीवा रोड़ स्थित है और बुढ़ार व अमलाई में अनीश, उमरिया व पाली में जावेद सहित अनूपपुर में जानू जैसे अवैध तथाकथित कबाड़ी सिंडिकेट बनाकर अपने अवैध कारोबार को संचालित कर रहे हैं। गौरतलब है जिसकी निगरानी एवं निरीक्षण को लेकर पुलिस का सरोकार नहीं देखने मिलता। अब देखना यह होगा कि इस मामले में कब और कौन किसकी ठोस कार्रवाई को मूर्तरूप देगा।