तुलसी महाविद्यालय में भारतीय भाषा दिवस‘ पर व्याख्यानमाला तथा कवि गोष्ठी सम्पन्न।
रिपब्लिक न्यूज।
अनूपपुर जिला के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेन्स शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर में भारतीय भाषा दिवस पर हिन्दी विभाग एवं अर्थशास्त्र विभाग तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में आत्मबोध से विश्वबोध विषय पर व्याख्यानमाला तथा कवि ‘स्व. रमावती देवी स्मृति कविगोष्ठी का आयोजन प्राचार्य डॉ अनिल सक्सेना के निर्देशन में हुआ, कार्यक्रम 02 सत्रों में आयोजित होकर अत्यंत सफल रहा ।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र् का प्रारंभ मॉ वीणापाणि की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलन और पूजन अर्चन से हुआ । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. राकेश सोनी प्राध्यापक, दर्शनशास्त्र अमरकंटक विश्वविद्यालय एवं अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिशद महाकौशल प्रान्त रहे । कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेन्द्र तिवारी, जिला सरसंघ चालक, अनूपपुर ने किया ।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनिल सक्सेना ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि आत्मबोध की प्रक्रिया में हम अपने अस्तित्व केन्द्र से जुड़ते है तथा सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड के साथ एकाकार होकर विश्वबोध की यात्रा तय करते हैं। ‘आत्मबोध से विश्वबोध‘ विषय पर केन्द्रित व्याख्यान माला के प्रथम वक्ता विश्व गीता प्रतिष्ठानम् के जिला प्रमुख दीपक त्रिपाठी ने भारतीय चर्वाक दर्शन पर प्रकाश डालते हुए आत्मबोध के तत्व को व्याख्यायित किया।
मुख्य वक्ता डॉ. राकेश सोनी, प्राध्यापक दर्शनशास्त्र, अमरकंटक विश्वविद्यालय ने अपने व्याख्यान में भारतीय भाषा की संरचनात्मक संवेदनाओं के मर्म से उपजे संस्कृति की अविच्छिन्न प्रवाह से आत्मबोध की यथार्थता एवं राष्ट्रबोध के संदर्भ में हम सबकी भूमिका पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए अत्यंत सरल शब्दो में ‘आत्मबोध से विश्वबोध‘ की यात्रा का तुलनात्मक व्याख्यान प्रस्तुत किया । अपने उद्बोधन में डॉ.सोनी ने भारतीय संस्कृति की भारतीय ज्ञान परम्परा में अनुस्यूत ‘अतिथि देवो भव‘ से ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः‘ की उदात्ता के महत्व को प्रतिपादित किया । राजेन्द्र तिवारी, जिला संघ चालक अनूपपुर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आत्मबोध ही वास्तविक ज्ञान है, जिसे हम व्यवस्थित और अनुशासित तप से प्राप्त कर सकते हैं,आदि शंकराचार्य जी ने ज्ञान को उत्कर्ष और मोक्ष प्राप्ति का साधन बताया है,आत्मा ही परिपूर्ण और सर्वज्ञ है आत्मबोध की साधना ही मोक्ष की प्राप्ति का साधन है,अत एव आत्मबोध की पराकाश्ठा ही विश्वबोध है ।
व्याख्यानमाला का सफल संचालन करते हुए डॉ. नीरज श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष हिन्दी ने कहा कि वेदान्त दर्शन के अनुसार हम न तो शरीर हैं, न मन हैं अपितु हम शुद्ध चेतना या आत्मा हैं और यही ज्ञान हमें अविनाशी स्वरुप का एहसास कराता है। इस अवसर पर साहित्यकार एवं कलाकार पवन छिब्बर,डॉ.जे.के.सन्त विभागाध्यक्ष राजनीति षास्त्र, सुरेन्द्र मिश्र, प्राचार्य, डॉ. राधा सिंह विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान, डॉ. सुधा शर्मा, सदस्य जिला उपभोक्ता आयोग, अनूपपुर, डॉ. विनोद कोल, डॉ. अमित भूशण द्विवेदी, डॉ. दुर्गेश द्विवेदी, डॉ. बृजेन्द्र सिंह,रोशन पुरी, प्रान्त परावर्तक सहित काफी संख्या में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।
द्वितीय सत्र् का आरंभ कवि गोष्ठी से आरंभ हुआ जिसमें शहडोल संभाग के कवियों ने सम्मिलित होकर कार्यक्रम को अत्यंत रोचक और मनोहारी बनाया। कवि गोष्ठी के मुख्य अतिथि जिला उपभोक्ता आयोग अनूपपुर की सदस्य डॉ. सुधा शर्मा तथा अध्यक्षता हास्य व्यंग्य कलाकार पवन छिब्बर ने तथा विशिशष्ट अतिथि प्रख्यात ग़ज़लकार दीपक अग्रवाल, डॉ. जे.के.सन्त एवं डॉ. राधा सिंह।
कार्यक्रम का आरंभ मॉ सरस्वती जी के सम्मुख दीप प्रज्जवलन और सरस्वती वंदना एवं युवा संगीतकार मोहनीया गुप्ता के बॉसुरी वादन से हुआ।
युवा कवि कृष्णा मिश्र (अतुल),अभिषेक श्रीवास्तव,ओमदत्त ओर्के, संतोष सोनी,एड.ने वीर रस की कविता तथा गीत, ग़ज़ल प्रस्तुत कर सबका मन मोंह लिया । शहडोल की वरिष्ठ कवियित्री संगीता शुक्ला द्वारा प्रस्तुत गीत ने खूब वाह-वाही लूटी। वरिष्ठ कवि अनिल प्रभात शुक्ल,गजेन्द्र मिश्र तथा डॉ. सुधा शर्मा, मीना सिंह, आकांक्षा शुक्ला की कवितायें और गीतों को अत्यंत सराहा गया, दीपक अग्रवाल के ग़ज़लों ने कार्यक्रम को आनंद से परिपूर्ण कर दिया। डॉ.जे.के.सन्त के हृदय स्पर्शी गीत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया,कार्यक्रम संचालन कर रहे डॉ नीरज श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत गीत से कवि गोष्ठी का समापन हुआ।
इस अवसर पर डॉ विनोद कोल, डॉ तरन्नुम शरबत, डॉ सूरज परवानी, डॉ. बृजेन्द्र सिंह, डॉ अमित भूषण द्विवेदी, समाजसेवी एवं वन्यजीव संरक्षक शशिधर अग्रवाल सहित छात्र-छात्राओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
