सुबह के समय एक बस अनियंत्रित होकर पलट गई।
दोपहर के समय एक ट्रक हादसे का शिकार हो गया।
बस और ट्रक इन दोनों तेज रफ्तार के घटनाओं में लगभग दो दर्जन यात्री घायल हुए और एक घर का चिराग बुझ गया।
रिपब्लिक न्यूज।
शहडोल // देश और प्रदेश में रफ्तार का कहर थम नहीं रहा है। तेज रफ्तार वाहनों के कारण आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। आज सुबह तेज रफ़्तार एक बस सड़क किनारे स्थित घर में टकराकर पलट गई थी जिससे दो दर्जन यात्री घायल हो गए। और वही दोपहर फिर एक सड़क हादसे में एक ग्रामीण की मौत हो गई।
जिला में फिर एक बस सड़क हादसा की शिकार हो गई मामला सोमवार बुढार से शहडोल की ओर यात्रियों को ले जा रही तेज रफ्तार बस सोमवार सुबह के समय अनियंत्रित होकर पलट कर दुर्घटनाग्रस्त हो गई वहीं इस सड़क दुघर्टना में लगभग दो दर्जन से अधिक 25 यात्री घायल हो गए।
घायल यात्रियों को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज मे भर्ती कराया गया है मिली जानकारी के मुताबिक यह बस पक्षीराज ट्रेवल्स की है बस क्रमांक एम पी 18 पी 6987 जो आज सुबह बुढार से शहडोल की तरफ आ रहा था। यह बस लालपुर के पास अनियंत्रित होकर पलट गयी और सडक किनारे बने एक कच्चे मकान में जाकर घुस गयी।
समय अच्छा रहा उस वक्त मकान मे मौजूद कोई भी व्यक्ति को चोट नहीं आई। लेकिन बस मे सवार दर्जनों यात्री घायल हो गए। यदि हम प्रत्यक्ष दर्शियों की मानें तो पक्षीराज ट्रैवल्स कंपनी बस का राफ्तार इतना तेज था कि बस एक बार नहीं वल्कि दो बार सडक पर पलटते हुए घर मे जा घुसा।
आरटीओ विभाग की लापरवाही और मनमानी सड़क दुघर्टना की मुख्य वजह है शहडोल आरटीओ कार्यालय में दलालों को अनौपचारिक रूप से कार्य सौंप रखा है ।
सूत्रों अनुसार प्राप्त जनचर्चा शहडोल के परिवहन विभाग को दलालों के ठेके पर देने की है। जिसके चलते परिवहन विभाग के कायदे कानून पैसे के आगे दम तोड़ते हैं अनफिट बसें सड़कों पर दौड़ती हैं और दुर्घटनाग्रस्त होकर कई यात्रियों की जान तक चली जाती है और आरटीओ कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी आरटीओ में बैठकर तो कभी अपने हवेली में बैठकर कार्यवाही कर खानापूर्ति करते हुए यात्रियों की जान जोखिम में डालने का काम कर रहे हैं।
जिले के जागरूक नागरिकों का यह तक कहना है कि शहडोल आरटीओ कार्यालय में दलाली हावी है फिटनेस, परमिट, लाइसेंस और इंश्योरेंस पॉलिसी की कार्यवाही संदेह को जन्म दे रहा है। विशेष सूत्रों अनुसार यहां पर उपलब्ध सभी सेवाएं प्रदान केवल गांधी दर्शन मात्र से हो जाता है।भौतिक सत्यापन करना सिर्फ खानापूर्ति कार्यालय कार्य है, इस तरह नियमों को दरकिनार करते हुए लगातार बगैर नियंत्रण के दौड़ती बस हादसे का कारण बनते जा रहे है। जबकि संबंधित विभाग द्वारा इस पर सख्त कार्रवाई की ज़रूरत है।