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सावन माह में 450 रूपए का मिलेगा कैसे गैंस सिलेंडर सस्ता।

450 का गैस सिलेंडर..., और शिब्बू फंस गये…? 

रेत के समंदर में कितने ही बड़ी ऊंची अट्टालिकाएं खड़ी कर दी जाए वह समंदर की  हवा के साथ फिर रेत में ही मिल जाया करती है। 

मुखिया कुछ यही राज्य के महाराज राव शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश शासन के हाल हो चलें हैं।



रिपब्लिक न्यूज।।

भोपाल // मध्य प्रदेश में कभी वह "पेशाब स्नान" पर पवित्र करन का पाखंड करते हैं , तो कभी सावन में अंधे हो जाते हैं। इस बार उन्हें लग रहा है उनका उद्धार भांजा और भांजियों की आशीर्वाद से नहीं होता दिख रहा है इसलिए 20 साल बाद उन्होंने लाड़ली बहनों के ऊपर पैसा लूटा कर आधी आबादी पर मायाजाल फेंका है।

 क्योंकि उन्हें मालूम है की आधी आबादी पर प्रियंका गांधी का उत्तर प्रदेश में जादू जरूर नहीं चला लेकिन जादू असरकारक है इसीलिए पहले 1000 मुफ्त में देना बाद में उसे बढ़ाकर तीन हजार तक कर देने की गारंटी देना और अब सावन माह पर धर्म के नाम धार्मिक त्योहार रक्षाबंधन के नाम सावन में 450 रुपए का गैस सिलेंडर देने घोषणा कर दी है।

यह अलग बात है कि  28 तारीख शाम तक गैस एजेंसी से गैस अपने वास्तविक दाम में ही मिल रही है , कह सकते हैं सावन को 2 दिन और बचे हैं। 

 फिलहाल यह प्रश्न जरुर खड़ा हो गया है अपने शिब्बू (महाराज राव शिवराज सिंह चौहान) के सामने की अगर आप 450 रुपए का सिलेंडर देने की योजना थी, जैसी कांग्रेस की सरकार राजस्थान में 5 साल से देती रही है तो फिर आपने क्यों नहीं दिया..? क्या स्पष्ट नहीं होता है कि सिर्फ वोट खरीदने के लिए एक प्रकार का यह खुला घूस है एक प्रकार की तुष्टिकरण है । इस प्रकार की घूस देने की और भ्रष्टचार करने की छूट भारतीय चुनाव आयोग इसका संज्ञान क्यों और कैसे नहीं ले पा रहा है..?

यह सही है कि जब तक आचार संहिता घोषणा नहीं हो जाती है तब तक  इस प्रकार के प्रलोभन वाले घोषणाएं पर कार्यवाही  नहीं करनी चाहिए। यह भारतीय लोकतंत्र की कानून की तकनीकी खामियों की गिनती में आ सकता है । लेकिन नैतिकता और सामाजिक संरचना में वास्तविक लोकतंत्र के लिए यह सबसे बड़ा पाप है । 

अगर आपके पास नीतिगत  तरीके से 450 सो रुपए का सिलेंडर देने की योग्यता थी तो आपने उसे अब तक क्यों छुपा कर रखा..? इसका मतलब की पेट्रोल और डीजल के दामों को भी कम कर देने की नीतिगत तरीके आपके पास थे किंतु आप पूंजी पतियों की गुलामों की तरह उनके लिए काम कर रहे थे और चुंकी उन्हें पूंजीपतियों की इच्छा से जब सत्ता में बने रहने की जरूरत आपको दिख रही है तब उनके इशारे पर आधी आबादी की वोट खरीदने के लिए यह नीतिगत फैसला ले रहे हैं।

ऐसे में यह भी स्पष्ट हो जाता है की कोई आदमी कितना भी बड़ा क्यों न बन जाए वह मूल रूप से अपने विचारों की सीमा के इर्द-गिर्द तैरता रहता है।  

इस तरह अपना शिब्बू पहले इसी नाम से जाना जाता था, बाद में वह शिवराज सिंह हुआ इसके बाद शिवराज सिंह चौहान बना हमने उसे महाराज राव शिवराज सिंह चौहान का दर्जा  दिया क्योंकि वह आज दुनिया के बड़े आदमियों की तरह जीवन बसर करते हैं। लेकिन इस नीति के फैसला से वह फिर से शिब्बू हो गए हैं और इस तरह अपनी ही बात में शिब्बू फंस गए क्योंकि उनके वोटो के बंटवारे के चक्कर में विचार प्रकट होने लगे हैं क्योंकि यह समझा पाना बड़ा मुश्किल होगा की "लाडली बहन योजना "के अलावा अन्य बहनों को, सामान्य महिलाओं को आखिर साढे चार सौ का सिलेंडर क्यों नहीं मिल सकता...और कोई बात नहीं है…।

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